सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ‘ यूपी विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश -2020 ‘ को मंजूरी दे दी गई । इस कानून के तहत महिलाओं , एससी(SC) एसटी(ST) वर्ग के लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने की घटनाओं को रोकने पर खास जोर दिया गया है ।राज्यपाल की मंजूरी के बाद अध्यादेश कानून का रूप ले सकेगा ।
कैबिनेट मंत्री व सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि प्रदेश में 100 से अधिक ऐसी घटनाएं हुई हैं , जिनमें जवरन या छल के जरिए धर्म परिवर्तन के मामले सामने आए हैं । सरकार इसे रोकने के लिए कानून लेकर आई है । इससे कानून – व्यवस्था की समस्याएं दूर होंगी एवं पारदर्शिता के साथ कार्रवाई भी हो सकेगी । झूठ बोलकर , बलपूर्वक , गलत ढंग से प्रभावित कर , उत्पीड़न या लालच देकर , कपट से या विवाह के जरिए एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन अपराध माना जाएगा । नावालिग युवती , एससी – एसटी समुदाय की महिलाओं के धर्म परिवर्तन के मामले में सजा और सख्त होगी । सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने वाले संगठनों का पंजीकरण रद किया जाएगा और उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी ।
सजा और जुर्माना
किसी का भी जबरन धर्म परिवर्तन करवाने पर 1 से 5 साल तक की जेल व 15 हजार रुपये न्यूनतम जुर्माना ।
नाबालिग युवती , एससी – एसटी जाति की महिला के जबरिया धर्म परिवर्तन पर 3 से 10 साल तक की जेल व 25 हजार रुपये न्यूनतम जुर्माना ।
सामूहिक धर्मांतरण पर 3 से 10 साल तक जेल व 50 हजार रुपये न्यूनतम जुर्माना ।
बिना सूचना के धर्म परिवर्तन पर 6 माह से 3 साल तक की जेल व 10 हजार रुपये न्यूनतम जुर्माना ।
धर्म बदलने के लिए की गई शादी होगी अवैध :
अध्यादेश के अनुसार केवल धर्म बदलने के लिए ही शादी की गई है तो उसे अवैध माना जाएगा । धर्म परिवर्तन करना है तो दो महीने पहले जिलाधिकारी के यहां आवेदन करना होगा । डीएम के समक्ष यह हलफनामा देना होगा कि धर्म परिवर्तन लालच , दबाव , झूठ , जवरन या केवल विवाह के लिए नहीं किया गया है । इसका उल्लंघन करने पर 3 साल तक की जेल होगी । खास बात यह है कि इन सभी अपराधों में सबूत का भार धर्म परिवर्तन कराने वाले या करने वाले आरोपित पर होगा कि वह सावित करे कि जवरिया धर्म परिवर्तन नहीं हुआ है या केवल शादी के लिए धर्म नहीं बदला गया है । इस कानून के तहत किए गए अपराध गैर जमानती होंगे और ऐसे मामलों की सुनवाई प्रथम श्रेणी के मैजिस्ट्रेट के समक्ष ही होगी ।