जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, उत्तराखंड का प्रमुख अभयारण्य, जिम कॉर्बेट की वीरता और साहसिक कारनामों के कारण प्रसिद्ध है।

जिम कॉर्बेट: एक साहसी शिकारी

जिम कॉर्बेट एक महान शिकारी थे, जिन्हें आदमखोर बाघों को मारने के लिए बुलाया जाता था। उनकी वीरता की कहानियाँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।

चम्पावत का आदमखोर बाघ

1907 में, चम्पावत में एक आदमखोर बाघ ने 436 लोगों की जान ली थी। जिम कॉर्बेट ने इस बाघ को मारकर लोगों को मुक्ति दिलाई।

मुक्तेश्वर का तेंदुआ

1910 में, मुक्तेश्वर में जिम कॉर्बेट ने एक तेंदुए को मारा जिसने 400 लोगों की जान ली थी। यह उनका पहला तेंदुआ शिकार था।

रुद्रप्रयाग का तेंदुआ

1926 में, रुद्रप्रयाग में एक तेंदुए ने 125 लोगों की जान ली थी। जिम कॉर्बेट ने इस तेंदुए को मारकर लोगों को सुरक्षित किया।

जीवों के प्रति प्रेम

कई आदमखोरों का शिकार करने के बाद, जिम कॉर्बेट के मन में जीवों के प्रति प्रेम बढ़ गया और उन्होंने बाघों के संरक्षण के लिए काम करना शुरू कर दिया।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

1955 में, भारत सरकार ने राम गंगा नेशनल पार्क का नाम बदलकर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क रखा, जो आज बाघों की राजधानी के रूप में जाना जाता है।

जिम कॉर्बेट का जीवन

जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वहीं पूरी की और पश्चिम बंगाल में रेलवे में नौकरी की।

कालाढूंगी का घर

जिम कॉर्बेट ने अपना घर कालाढूंगी में छोड़ दिया, जो आज वन विभाग के पास है और एक संग्राहलय में तब्दील कर दिया गया है।

जिम कॉर्बेट की अमूल्य धरोहर आज भी हजारों सैलानियों को आकर्षित करती है। उन्होंने 6 पुस्तकों की रचना की, जो आज भी लोकप्रिय हैं।

जिम कॉर्बेट की धरोहर