Frog Temple (मेंढक मंदिर): उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के ओएल नगर में स्थित मेंढक मंदिर एक ऐसा अनोखा धार्मिक स्थल है, जो श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों दोनों को आकर्षित करता है। इस मंदिर की स्थापना लगभग 200 साल पहले हुई थी और इसे एक राजपूत शासक बखत सिंह की अद्भुत कथा से जोड़ा जाता है।
बखत सिंह और मेंढक की कथा
बखत सिंह, ओएल राज्य के एक महान और धर्मपरायण राजा थे। उनकी शासन व्यवस्था में उनके राज्य की जनता सुखी और समृद्ध थी, लेकिन एक समय ऐसा आया जब राज्य में भयंकर सूखा पड़ा और पूरी प्रजा पानी की कमी से त्रस्त हो गई। फसलें सूख गईं, तालाब और नदियां सूखने लगीं, और लोग अपनी जीवन-यापन की आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हो गए। इस संकट की घड़ी में राजा बखत सिंह ने भगवान शिव की शरण ली और उनकी उपासना में लीन हो गए।
दिव्य मेंढक का आगमन
कहा जाता है कि एक दिन जब राजा बखत सिंह नर्मदा नदी के किनारे ध्यान में बैठे थे, तभी उनके सामने एक दिव्य मेंढक प्रकट हुआ। उस मेंढक ने बखत सिंह से कहा, “राजन, तुम्हारी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर मैं तुम्हें आशीर्वाद देने आया हूँ। तुम्हारे राज्य में शीघ्र ही खुशहाली और समृद्धि लौट आएगी।” यह कहकर मेंढक अचानक गायब हो गया।
शिवलिंग की प्राप्ति
इस अद्भुत घटना के बाद, बखत सिंह ने नर्मदा नदी में स्नान करते समय एक विशेष शिवलिंग पाया। यह शिवलिंग कोई साधारण शिवलिंग नहीं था, बल्कि बाणासुर प्रती नमर्देश्वर नर्मदा कुंड का था, जो अपनी दिव्यता और शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। बखत सिंह ने इसे अपने राज्य में लाने का निश्चय किया और ओएल नगर में तांत्रिक विधियों के अनुसार इसकी स्थापना की।
मेंढक मंदिर की स्थापना
मेंढक के आशीर्वाद से प्रेरित होकर, बखत सिंह ने ओएल नगर में एक मंदिर का निर्माण करवाया जो तंत्र विद्या पर आधारित है। इस मंदिर की खासियत यह थी कि इसे एक विशाल मेंढक की पीठ पर बनाया गया है , जो स्वयं एक विशाल मगरमच्छ की पीठ पर है। इस मंदिर के मुख्य देवता शिव हैं , लेकिन इस मंदिर की संरचना और इसमें मेंढक का प्रतीक इसे अनोखा और विशेष बनाता है।
समृद्धि और खुशहाली की वापसी
शिवलिंग की स्थापना और मेंढक मंदिर के निर्माण के बाद, ओएल राज्य में बारिश हुई और सूखे का अंत हुआ। राज्य की फसलें फिर से हरी-भरी हो गईं, तालाब और नदियां पानी से भर गईं, और प्रजा में खुशी की लहर दौड़ गई। बखत सिंह के शासन में फिर से समृद्धि और खुशहाली लौट आई। कहा जाता है कि इस दिव्य मेंढक के आशीर्वाद से न केवल बखत सिंह का जीवन सफल हुआ, बल्कि उनकी आने वाली पीढ़ियां भी समृद्धि और खुशहाली में जी सकीं।
तंत्र विद्या का महत्व
तंत्र (तांत्रिक प्रथा) के अनुसार, मेंढक को समृद्धि, सौभाग्य और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना में तंत्र विद्या का महत्वपूर्ण योगदान था और इसे कपिल तांत्रिक ने मेघालय से आकर डिज़ाइन किया था। मंदिर की वास्तुकला और इसकी संरचना में तंत्र विद्या की झलक मिलती है, जो इसे अद्वितीय और विशेष बनाती है।
बखत सिंह और दिव्य मेंढक की यह कथा आज भी ओएल नगर के इस मंदिर में जीवित है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी है, जो श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की विशेषता और इसकी कथा इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती है, जहां आस्था और इतिहास का संगम होता है।
अद्वितीय संरचना और विशेषताएँ
ओएल नगर का यह मंदिर लखनऊ से लगभग 120 किमी दूर स्थित है। मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर में शिवलिंग के पास नंदी की प्रतिमा है, जो अन्य मंदिरों की तरह बैठी हुई नहीं, बल्कि खड़ी है। मंदिर की वास्तुकला मंडूक तंत्र पर आधारित है, जो इसे अद्वितीय बनाती है।
बखत सिंह और दिव्य मेंढक की यह कथा आज भी ओएल नगर के इस मंदिर में जीवित है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी है, जो श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की विशेषता और इसकी कथा इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती है, जहां आस्था और इतिहास का संगम होता है।
आधुनिक स्थिति और आवश्यकताएँ
इस मंदिर की खासियत यह भी है कि यह अपने रंग को स्वतः बदलता है और गर्भगृह में स्थित विशाल शिवलिंग और सुंदर चित्रों से सुसज्जित दीवारें इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। हालांकि, मंदिर की वर्तमान स्थिति चिंता का विषय है, क्योंकि इसे तत्काल मरम्मत और पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। वर्तमान में, यह मंदिर बहुत ही शांत और भीड़-भाड़ से मुक्त है, जहां केवल स्थानीय लोग ही पूजा करने आते हैं।
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले का यह मेंढक मंदिर (Frog Temple in UP) एक अनोखा धार्मिक स्थल है, जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास प्रेमियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण धरोहर है।