औरैया: जनपद की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक और श्रद्धालुओं का प्रमुख आस्था केंद्र, देवकली मंदिर, इस समय उपेक्षा का शिकार हो रहा है। यह मंदिर न केवल स्थानीय भक्तों के लिए, बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
टूटे खंभों की दुर्दशा, आर्थिक संसाधनों की कमी नहीं
मुनि मिश्रा, एक शिव भक्त, ने हाल ही में अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर एक गहन मुद्दा उठाया है। उनके अनुसार, मंदिर के ऊपर जो कलश के खंभे लगे थे, वे कई महीनों से टूटे पड़े हैं और इनकी मरम्मत की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। मुनि मिश्रा ने यह भी उल्लेख किया कि मंदिर में दान के रूप में पर्याप्त राशि आती है, जिससे मंदिर के रखरखाव और मरम्मत के कार्य आसानी से किए जा सकते हैं। बावजूद इसके, मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
भक्तों की नाराजगी
शिव भक्तों का कहना है कि हमारे आराध्य भोलेनाथ के प्रति यह व्यवहार अत्यंत अस्वीकार्य है। यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। इसकी उपेक्षा हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का अपमान है। भक्तों का कहना है कि यदि प्रशासन शीघ्र ही इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देता, तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
पूर्व जिलाधिकारी की पहल
पूर्व जिलाधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने महाकालेश्वर देवकली एवं मंगला काली देव स्थान एवं गोवंश संरक्षण ट्रस्ट का गठन कर इन प्रमुख मंदिरों का प्रबंधन प्रशासनिक देखरेख में दे दिया था। व्यवस्था को दुरुस्त करने और मंदिर के सौंदर्यीकरण एवं अन्य सुविधाओं की व्यवस्था के लिए 20 लाख रुपए का ठेका भी उठाया गया था।
वर्तमान जिलाधिकारी का निरीक्षण
वर्तमान जिलाधिकारी डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने श्रावण मास को देखते हुए दो बार लगातार मंदिर का निरीक्षण किया है। इसके बावजूद, टूटे खंभों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। भक्तों का सवाल है कि क्या ये खंभे जिलाधिकारी की नजर में नहीं आए या फिर जानबूझकर इस स्थिति की अनदेखी की जा रही है?
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प्रशासन से अपील
मुनि मिश्रा और अन्य शिव भक्तों ने प्रशासन से हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन किया है कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की जाए। यह न केवल धार्मिक आस्था का सवाल है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा का भी मुद्दा है। प्रशासन को चाहिए कि वे तुरंत खंभों की मरम्मत कराएं और मंदिर की गरिमा को बहाल करें।
सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
हम सबके आराध्य भोलेनाथ का यह प्राचीन देवकली मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी अभिन्न हिस्सा है। इसकी उपेक्षा हमारे इतिहास और संस्कृति का अपमान है। हमें इसे संरक्षित करने और इसकी गरिमा को बनाए रखने की दिशा में सामूहिक प्रयास करने चाहिए।
आशा है कि प्रशासन शीघ्र ही इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान देगा और हमारे आराध्य भोलेनाथ के मंदिर की मरम्मत करेगा। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करें और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व से अवगत कराएं।