One Nation One Election: केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद शीतकालीन सत्र में सरकार इस प्रस्ताव को बिल के रूप में सदन में पेश करेगी। इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
रिपोर्ट की सिफारिशें
समिति ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश की गई थी। इसके अलावा, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के संपन्न होने के 100 दिनों के भीतर ही स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाने चाहिए। इस सुझाव का मुख्य उद्देश्य देश में चुनाव प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, जिससे संसाधनों की बचत हो सके और विकास के कार्य में कोई बाधा न आए।
समिति की भूमिका और प्रतिक्रिया
उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश की गई। इस समिति ने देश की 62 राजनीतिक पार्टियों से इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया मांगी थी। इनमें से 32 पार्टियों ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का समर्थन किया, जबकि 15 ने इसका विरोध जताया। कुछ पार्टियों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
संसाधनों की बचत और मतदाता सूची
समिति ने सुझाव दिया है कि एक साथ चुनाव कराने से देश के संसाधनों की बचत होगी और यह विकास और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, समिति ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा एक सामान्य मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की सिफारिश की है।
संवैधानिक संशोधन
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की गई है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी जिन्हें संसद से पारित करना होगा।
सरकार की योजना और अगले कदम
गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों के काम का ब्यौरा दिया था। उन्होंने इस दौरान ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की व्यवस्था को लागू करने की योजना की भी चर्चा की। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसका उल्लेख किया था। प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि पांच साल के कार्यकाल के दौरान लगातार चुनाव होने से विकास के कार्यों में बाधा आती है और संसाधनों का अतिरिक्त खर्च होता है।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ एक महत्त्वपूर्ण पहल है जो भारतीय चुनाव प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। यदि यह प्रस्ताव पारित होता है, तो यह न केवल संसाधनों की बचत करेगा बल्कि सरकार को विकास कार्यों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करेगा।