Mangla Kali Mandir Auraiya: जनपद में स्थित मां मंगला काली मंदिर, यमुना नदी के किनारे बीहड़ घाटी में स्थित है। यह मंदिर जनपदवासियों के लिए केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि गौरव का प्रतीक भी है। इसका इतिहास और महत्व इतना अद्वितीय है कि इसे जानकर हर कोई प्रभावित हो जाता है। यहां की देवी मां मंगला काली की महिमा और चमत्कारों की कहानियां सदियों से प्रचलित हैं।
Mangla Kali Mandir: तोप के गोले भी पड़ें ठंडे, मंदिर रहा ज्यों का त्यों
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक , इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। अंग्रेजों के शासनकाल में, जब देवकली गांव को तोपों से उड़ाया गया था, तब भी यह मंदिर अपनी स्थिति में बना रहा। यह एक अद्वितीय घटना थी जिसने मंदिर की महिमा को और बढ़ा दिया। मंदिर के गर्भगृह में मां की प्रतिमा को देखकर ऐसा लगता है जैसे वह दीवार से निकली हों। इस प्रतिमा की स्थापना के बारे में कोई ठोस इतिहास नहीं है, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाता है।
डकैतों की आस्था का रहा है केंद्र
करीब दो दशक पहले, इस मंदिर का एक अलग ही नजारा था। उस समय, कई नामी-इनामी डकैत यहां घंटा चढ़ाकर और हर्ष फायरिंग के साथ माता की पूजा अर्चना करते थे। मां मंगला काली से मनोकामना पूरी करने के लिए ये डकैत अपने सारे अपराध छोड़कर यहां माथा टेकते थे। गोलियों की तड़तड़ाहट और जयकारों की गूंज के बीच इस मंदिर का वातावरण अद्वितीय होता था। हालांकि अब, बीहड़ में डकैतों की संख्या कम हो गई है और इस समय यहां केवल भक्तों की जयकारे गूंजते हैं।
धार्मिक महत्व और भक्तों की आस्था
आज भी, मां मंगला काली मंदिर भक्तों का प्रमुख धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां सुबह से शाम तक भक्तों का तांता लगा रहता है। यमुना नदी के किनारे, बीहड़ घाटी में स्थित इस मंदिर में मां की जयकारे गूंजते रहते हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि यह एक सिद्ध पीठ है, जहां मां मंगला काली अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। भक्तजन अपनी समस्याओं और इच्छाओं को लेकर यहां आते हैं और माता के दरबार में अपनी प्रार्थनाएं रखते हैं।
सावन में शिवभक्तों की भीड़ से गूंजता मां मंगला काली मंदिर
सावन के महीने में औरैया का मां मंगला काली मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बन जाता है। शिवभक्त महाकालेश्वर देवकली मंदिर में भगवान शिव की आराधना करने के बाद, इस सिद्ध शक्ति उपासना स्थल पर भी आते हैं। यहां भक्तों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं, जो मां मंगला काली के दर्शन के लिए आते हैं। यह क्रम पूरे सावन के महीने में चलता रहता है, जिससे मंदिर परिसर शिवभक्तों के जयकारों से गूंज उठता है।
नवरात्रि का विशेष महत्व
औरैया शहर से 5 किमी दूर दुर्गम यमुना बीहड़ों में स्थित मां मंगला काली का दरबार नवरात्रि के पवित्र दिनों में विशेष महत्व रखता है। इन दिनों में यहां चारों तरफ से भारी भीड़ उमड़ती है। जनपद और सुदूरवर्ती गैर जनपदों से लोग घंटा और झंडा चढ़ाने आते हैं। इस दुर्गम बीहड़ में माता के पवित्र जयकारे गूंजते रहते हैं। यह मंदिर एक सिद्ध शक्ति उपासना स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। जानकार इसे सिद्ध तंत्र पीठ भी मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती है।
प्राचीन कथाएं और किदवंतियां
मंदिर का इतिहास और आसपास की कहानियां इसे और भी दिलचस्प बनाती हैं। गजेटियर के मुताबिक, मंदिर के उत्तर पश्चिम में एक टीले पर किसी पुरानी आबादी के अवशेष मिलते हैं। यह बताया जाता है कि इस गांव को कंपनी सरकार की फौजों ने तोप से उड़ाया था। ग्रामीण तो बचकर निकल गए थे, लेकिन गांव के मकान विस्मार हो गए थे। तब से यह गांव दोबारा आबाद नहीं हुआ और इसी गांव का यह देवी स्थान है। कई बागियों ने यहां अनुष्ठान कर माता की पूजा अर्चना की थी।
एक और किदवंती के अनुसार, यमुना पार स्थित कर्णखेरा के राजा कर्ण यहां प्रतिदिन आकर पूजा अर्चना और स्वर्णदान करते थे। ऐसे सिद्ध साधकों की साधना से यह स्थान जाग्रत हो गया। 1974 में यहां मां मंगला काली द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया और शनै शनै इस स्थान का सड़क और विद्युत से विकास कराया गया। अब यह मंदिर जंगल में मंगल का नजारा प्रस्तुत करता है और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र बना हुआ है।
मंदिर का वर्तमान स्वरूप
वर्तमान में, यह मंदिर धीरे-धीरे विकसित हो चुका है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मंदिर का वास्तुकला अद्वितीय है और इसकी मूर्ति का स्वरूप ऐसा है कि इसे देखने मात्र से भक्तों को आध्यात्मिक शांति मिलती है। मंदिर परिसर में आने वाले लोग यहां की शांति और दिव्यता का अनुभव करते हैं। मंदिर के पास यमुना नदी का सौंदर्य भी इसे और आकर्षक बनाता है।
समाज और पर्यावरण में योगदान
मां मंगला काली मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति भी इसका योगदान उल्लेखनीय है। मंदिर परिसर में वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है। यहां के पुजारी और स्थानीय लोग मिलकर इन अभियानों में भाग लेते हैं और समाज को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने का प्रयास करते हैं।
मां मंगला काली मंदिर, औरैया (Maa Mangla Kali Mandir Auraiya) का एक अनमोल धार्मिक केंद्र है। इसका इतिहास, डकैतों की आस्था, भक्तों की मनोकामना पूर्ति और समाज में इसके योगदान को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि यह मंदिर एक जीवंत धरोहर है। हर भक्त यहां आकर मां की महिमा का अनुभव करता है और अपने जीवन में नई ऊर्जा पाता है। मां मंगला काली का यह मंदिर सचमुच आस्था और श्रद्धा का अद्वितीय केंद्र है।