सशस्त्र सेना झंडा दिवस की शुरुआत 7 दिसंबर 1949 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा समिति द्वारा सैनिकों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए धन संग्रह हेतु की गई थी। तब से हर साल सात दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। इस दिन किए गए धन संग्रह के तीन मुख्य उद्देश्य है- पहला युद्ध के समय हुए नुकसान में मदद, दूसरा सेना में काम कर रहे लोगों और उनके परिवार के कल्याण के लिए, तीसरा सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार की मदद।
विकास भवन के सभागार में जिले के सभी अधिकारियों के समक्ष ओरैया के जिलाधिकारी श्री सुनील कुमार वर्मा को टोकन फ्लैग लगा कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई इस अवसर पर जिला सैनिक एवं पुनर्वास अधिकारी कर्नल संजीव कुमार वार्ष्णेय ने निदेशालय सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास लखनऊ द्वारा प्रकाशित एक स्मारिका जिलाधिकारी को भेंट की जिसमें सैनिकों के कल्याण संबंधी सभी योजनाओं की जानकारी दी गई है। इस अवसर पर निदेशालय द्वारा जारी किए गए पोस्टर का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अनिल सिंह व जिले के लगभग सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित थे सभी को टोकन फ्लैग लगाया गया। सैन्य बलों के लिए गए धन संग्रह के बदले लाल, गहरे नीले और हल्के नीले रंग के झंडे दिए जाते हैं।
ये तीनों रंग भारत की सेना, नौसेना और वायुसेना का प्रतीक हैं। ये दिन हमें इस बात का भी ध्यान दिलाता है कि सीमा पर मुश्किल हालातों में डटे सैनिकों के परिजनों के लिए हम भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। एसपी औरैया श्री अभिषेक सिंह से अलग से मुलाकात कर कर्नल संजीव वार्ष्णेय ने उनको भी स्मारिका भेंट कर और फ्लैग लगाकर सम्मानित किया। साथ ही पूर्व सैनिकों की ओर से यह मांग रखी कि जिले में सैनिकों और उनके परिजनों की समस्याओं के लिए एक अलग से हेल्पलाइन शुरू की जाए जिसमें वह एसपी या डीएम से सीधे संपर्क कर सकें और उन उनकी समस्याओं पर त्वरित कार्यवाही हो सके । कुछ जिलों में यह सुविधा पहले से मौजूद है।