रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) 2024: रक्षा बंधन भाई-बहन के बीच के पवित्र बंधन का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी समृद्धि और लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहनों की हर मुश्किल से रक्षा करने का वचन देते हैं और उपहार भी देते हैं। “रक्षा” का अर्थ है सुरक्षा और “बंधन” का अर्थ है बंधन। हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षा बंधन सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। आइए जानते हैं रक्षा बंधन 2024 के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
रक्षा बंधन क्यूँ मनाया जाता है ?
रक्षा बंधन का त्योहार भारतीय पौराणिक कथाओं में गहरे रचा-बसा है। महाभारत में वर्णित एक प्रमुख कहानी के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने धर्म की रक्षा के लिए राजा शिशुपाल का वध किया, तो उनके हाथ से खून बहने लगा। द्रौपदी, पांडवों की पत्नी, ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। इस छोटे से लेकिन संवेदनशील भाव से प्रभावित होकर कृष्ण ने द्रौपदी को हमेशा रक्षा करने का वचन दिया। बाद में, जब पांडवों ने कौरवों से जुए में सब कुछ हार दिया और कौरवों ने द्रौपदी का अपमान करने की कोशिश की, तब भगवान कृष्ण ने अपनी प्रतिज्ञा निभाई और द्रौपदी की रक्षा की।
रक्षा बंधन का महत्व क्या है?
रक्षा बंधन का महत्व समय के साथ बढ़ता गया है। यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं को पार करते हुए, मानव संबंधों और एकता का उत्सव बन गया है। यह केवल भाई-बहन के बीच ही नहीं, बल्कि चचेरे भाई, दोस्तों और उन लोगों के बीच भी मनाया जाता है जो हमारे जीवन में खास स्थान रखते हैं। यह पर्व प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है, जो भाईचारे और एकता को भी महत्व देता है।
रक्षा बंधन 2024 की तारीख
इसबार पूरे देश में रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) 19 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा।
रक्षा बंधन 2024 का शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan Shubh Muhurat)
रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस दिन भद्राकाल का साया भी होता है। भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, इसलिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस वर्ष भद्राकाल कब समाप्त हो रहा है और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है।
भद्राकाल में नहीं बांधी जाती है राखी
हिंदू धर्म में भद्राकाल के समय को अशुभ माना जाता है। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य, जिसमें राखी बांधना भी शामिल है, नहीं किया जाता। मान्यताओं के अनुसार, भद्राकाल में राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में तनाव आता है और मनोकामनाएं पूरी नहीं होतीं। इसलिए, भाई की कलाई पर राखी बांधने का पवित्र कार्य शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। यही कारण है कि लोग राखी बांधते समय भद्राकाल का बहुत ध्यान रखते हैं।
भद्राकाल
- भद्राकाल प्रारंभ: पूर्णिमा तिथि के साथ भद्राकाल की शुरुआत होगी।
- भद्राकाल समाप्ति: 19 अगस्त 2024 को दोपहर 1:30 बजे।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Rakhi Bandhane ka Shubh Muhurat)
भद्रा समाप्त होने के बाद ही राखी बांधना शुभ माना जाता है। इस साल, 19 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:30 बजे से रात 9:07 बजे तक रहेगा। यह कुल 7 घंटे 37 मिनट का शुभ समय है, जिसमें राखी बांधना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- राखी बांधने का शुभ मुहूर्त आरंभ: 19 अगस्त को दोपहर 1:30 बजे।
- राखी बांधने का शुभ मुहूर्त समाप्ति: 19 अगस्त को रात 9:07 बजे।
भद्राकाल की कहानी (Bhadrakal ki Kahani)
रक्षा बंधन के त्योहार पर भद्राकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार, लंकापति रावण ने अपनी बहन से भद्राकाल में राखी बंधवाई थी, जिसके कारण रावण का सर्वनाश हुआ। इस मान्यता के आधार पर, भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। इसके अलावा, एक और मान्यता है कि भद्राकाल में भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं, इसलिए इस समय किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता।
रक्षा बंधन के रीति-रिवाज
रक्षा बंधन के पर्व को मनाने के लिए एक चांदी की थाली, जिसे थाली भी कहा जाता है, तैयार की जाती है। इस थाली में निम्नलिखित वस्तुएं शामिल होती हैं:
- अक्षत (चावल): अक्षत को शुभ माना जाता है और इसे तिलक के साथ भाई की कलाई पर लगाते हैं।
- कुमकुम: कुमकुम से तिलक किया जाता है, जो भाई की रक्षा और समृद्धि की कामना का प्रतीक है।
- मिठाई: मिठाई से भाई का मुँह मीठा किया जाता है, जो पर्व की मिठास और सौहार्द का प्रतीक है।
- फल: फल पूजा में शामिल किए जाते हैं और प्रसाद के रूप में बांटे जाते हैं।
- दही: दही को शुभ और पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग तिलक के साथ किया जाता है।
- अगरबत्ती: अगरबत्ती जलाने से वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है।
- दीया (दीपक): दीया जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पूजा का महत्व बढ़ता है।
इन सभी रीति-रिवाजों को पालन करते हुए रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है, जो परिवार में स्नेह और एकता को बढ़ाता है। इस प्रकार, रक्षा बंधन का पर्व केवल राखी बांधने और उपहार देने का ही नहीं, बल्कि एक दूसरे की सुरक्षा और सम्मान की प्रतिज्ञा करने का भी है। यह पर्व हमें हमारे संबंधों के महत्व और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी की याद दिलाता है। रक्षा बंधन 2024 का यह उत्सव सभी के लिए सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए, यही कामना है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए Auraiya Times उत्तरदायी नहीं है।