Swami Vivekananda Punyatithi: स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ था एवं निधन 4 जुलाई 1902 में। स्वामी विवेकानंद जी के शिष्यों के अनुसार स्वामी जी ने महासमाधि की अवस्था को प्राप्त कर लिया है। महान दार्शनिक स्वामी विवेकानंद जी ने भारतीय वेद, योग और अध्यात्म को विश्व भर में पहुंचाया और हिंदू धर्म का सम्पूर्ण जगत में प्रचार-प्रसार किया। स्वामी जी का जीवन युवायों के लिए प्रेरणा श्रोत है,आइए आज उनकी पुण्यतिथि पर उनसे जुड़ीं कुछ अनसुनी बातें जानते है।
1.स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्ता था। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के एक बंगाली परिवार में हुआ था। उस समय भारत पर ब्रिटिशो का राज था,और कलकत्ता उस समय भारत की राजधानी हुआ करती थी।उनके पिता विश्वनाथ दत्ता कलकत्ता हाई कोर्ट में काम करते थे और उनकी माता गृहिणी थी।
2. स्वामी विवेकानंद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शैक्षिक प्रवित्ति में निपुण थे। उनको यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी, एफए में 46 फीसदी और बीए में 56 फीसदी अंक प्राप्त हुए थे।
3.विवेकानंद एक साधारण बालक थे लेकिन उन्हें पढने में काफी रूचि थी। उन्हें वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराण में काफी रूचि थी।
4. स्वामी जी के मठ में किसी महिला, उनकी मां तक, को जाने की अनुमति नहीं थी। एक बार जब उनको काफी ज्वर था तो उनके शिष्य उनकी मां को मठ में लाए। माँ को देखकर स्वामी विवेकानंद चिल्लाए, ‘तुम लोगों ने एक महिला को अंदर आने की अनुमति कैसे दी? मैं ही हूं जिसने यह नियम बनाया और मेरे लिए ही इस नियम को तोड़ा जा रहा है।’
5. बीए डिग्री होने के बावजूद विवेकानंद जी को रोजगार की तलाश में घर-घर भटकना पड़ता था। वह जोर से कहते, ‘मैं बेरोजगार हूं।’ नौकरी की तलाश में जब थक गए तो उनका भगवान से भरोसा उठ गया और लोगों से कहने लगते कि भगवान का अस्तित्व नहीं है।
6. 11 सितम्बर 1893 को विश्व धर्म सम्मलेन में स्वामी जी ने हिंदुत्वता पर अपना पहला भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुवात “सिस्टर एंड ब्रदर्स ऑफ़ अमेरिका” से की। ये सुनते ही वँहा उपस्थित सभी लोगो ने उनके लिये खड़े होकर जोरो से तालिया बजायी।
7. पिता की मृत्यु के बाद स्वामी जी के परिवार पर संकट आ गया था। गरीबी के उन दिनों में सुबह विवेकानंद अपनी माता से कहते थे कि उनको कहीं से दिन के खाने के लिए निमंत्रण मिला है और इसी बहाने घर से बाहर निकल जाते थे। दरअसल उनको कोई निमंत्रण नहीं मिलता था बल्कि वह ऐसा इसलिए करते थे ताकि घर के अन्य लोगों को खाने का ज्यादा हिस्सा मिल सके, और कोई भूखा न रहे।वह लिखते हैं, ‘कभी मेरे खाने के लिए बहुत कम बचता था और कभी तो कुछ भी नहीं बचता था।’
8. 1मई 1897 को स्वामी जी ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
9. स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखी पुस्तकें – कर्म योग, राज योग, वेदांत शास्त्र , कोलम्बो से अल्मोरा तक के भाषण, भक्ति योग इत्यादि।
10. 4 जुलाई 1902 को 39 वर्ष की आयु में बेलूर मठ में ही स्वामी विवेकानंद की मृत्यु हो गयी। उनके जन्मदिवस को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।